Blog

blog-1
जैव विविधता संरक्षण क्यूँ ……??
मनुष्य की पूर्णता प्रकृति के साथ उसके पूर्ण समन्वय और सामंजस्य में है। लेकिन प्रश्न है कि क्या हम ऐसा कर रहे हैं…? उत्तर होगा नही। हमने अपने क्रियाकलापों से पूरे के पूरे ईकोसिस्टम को तबाह कर दिया है। ग्लेशियर पिघल रहे है, पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो चुके हैं या हो रहे हैं। इन सबका मिलाजुला प्रभाव मुनष्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों पर भी पड़ रहा है। पशु-पक्षी हमारे जीवमंडल का अभिन्न हिस्सा है यदि वही नही रहेंगे तो मनुष्य भी नही रहेगा यह निश्चित है। पशु-पक्षियों की बहुत सी प्रजातियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या संकटग्रस्त हैं। किसी प्रजाति को तब विलुप्त माना जाता है जब वह अपने प्राकृतिक आवास में 50 वर्ष से न देखी गई हो । अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। इसी प्रकार संकटग्रस्त प्रजाति वह है जिनकी संख्या इतनी कम हो गई है कि उनके विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यदि इन जातियों के संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो वे निकट भविष्य में समाप्त हो जायेंगी। अतएव अपनी इस जैव विविधता को बचाने के लिए मानवीय गतिविधियों पर नियंत्रण के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और तापमान पर नियंत्रण भी जरूरी है।जो प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं उनके लिए तो कुछ नही किया जा सकता किंतु संकटग्रस्त जातियों को बचाने के लिए उपाय किए जा सकते हैं और किए जा रहे हैं। प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने के लिए आज पूरी दुनिया में पशु पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को चिन्हित कर उनके प्राकृतिक आवास में ही नेशनल पार्क/जैव मण्डल रिर्जव बनाए जा रहे हैं लेकिन हमे और अधिक सजक रहना होगा। अगर किसी भी तरह के पशु या पक्षी विलुप्त होते है तो इसकी हानि जंगल में लगभग हर जीव को महसूस होती है। पशु-पशुओं के शिकार करने की निषेधाज्ञा कानून का कानून होने के बावजूद इनका शिकार हो रहा है इसे रोकना होगा। कृषि-क्षेत्र में कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोकना होगा। भारतीय गिद्ध और गौरैया जैसे पक्षी कीटनाशकों का ही शिकार हुए हैं। हमे जल,जंगल,जमीन और पशु पक्षियों की रक्षा करनी होगी।